इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी से मरीजों को होगा लाभ

एम्स में पल्मोनरी मेडिसिन विभाग की ओर से एम्स कॉन्फिप 2019 का शुभारंभ हुआ। इसमें देश विदेश से जुटे श्वास रोग विशेषज्ञों ने सांस संबंधी रोगों में इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी के इस्तेमाल पर चर्चा की। एम्स निदेशक डॉ. रविकांत ने कहा कि इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी मेडिकल फील्ड में एक बहुत ही उभरती हुई सब ब्रांच है। भारत में अधिकांश मेडिकल संस्थानों में यह सुविधा अभी उपलब्ध नहीं है। उन्होंने बताया कि संस्थान में इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी की स्थापना से उत्तराखंड सुदूर पर्वतीय इलाकों व समीपवर्ती अन्य राज्यों से आने वाले कैंसर एवं विभिन्न प्रकार के सांस की बीमारियों से ग्रसित मरीजों को अत्यधिक लाभ मिलेगा। संस्थान के डीन एकेडमिक प्रो. मनोज गुप्ता ने बताया कि इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी में ईबस अल्ट्रासाउंड से लैस दूरबीन द्वारा सांस की नली के आरपार देखा जा सकता है और कैंसर व अन्य प्रकार की गांठों की जांच आसानी और सटीक तरीके से की जा सकती है। उन्होंने बताया कि रिजिड ब्रोंकोस्कोपी द्वारा सांस की नली में कैंसर व अन्य प्रकार की गांठों से उत्पन्न होने वाली रुकावट को दूर करना, फॉरेन बॉडी को निकालना, स्टंट डालना व अन्य कई तरह के उपचार किए जा सकते हैं।



आयोजक समिति के अध्यक्ष और पल्मोनरी मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. गिरीश सिंधवानी ने बताया कि इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी ब्रांच की एम्स ऋषिकेश में हाल ही में स्थापना हुई है, लेकिन काफी कम समय में ही काफी संख्या में मरीजों को इस सुविधा का लाभ मिला है। कांफ्रेंस में अमेरिका के विख्यात इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. अली मुसानी ने प्रतिभागियों को रिजिड ब्रोंकोस्कोपी से कैंसर जैसी घातक बीमारी की जांच एवं उपचार में उपयोगिता से रूबरू कराया। दिल्ली एम्स से आए डॉ. करन मदान और डॉ. सौरभ मित्तल ने रिजिड ब्रोंकोस्कोपी की बारीकियों व मरीज की जांच के दौरान रखी जाने वाली जरूरी सावधानियों से प्रतिभागियों को अवगत कराया। संगोष्ठी में संस्थान के एनेस्थिसिया विभागाध्यक्ष डॉ. संजय अग्रवाल, पैथोलॉजी विभाग के डॉ. प्रशांत जोशी आदि ने प्रतिभाग किया।